राजस्थान के पहाड़ी किले:
विश्व विरासत स्थल
Rajsthaan के पहाड़ी किले जिसमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, सवाई माधोपुर, झालावाड़, जयपुर और जैसलमेर के 6 राजसी किले शामिल हैं, लगभग बीस किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन किलों में 8वीं शताब्दी से 18 वीं शताब्दी तक की राजपूताना साम्राज्य की विरासत को देखा जा सकता है। इन किलों के परिदृश्य की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक साधनों जैसेः रेगिस्तान, नदियों, पहाड़ों, और घने जंगलों का इ्स्तेमाल किया गया है। इन किलों में जल संरक्षण के लिए बड़े बड़े भवन बने हुए हैं जिनका प्रयोग आज भी किया जा रहा है।
1. चित्तौडगढ़ का किला:
चित्तौड़गढ़ पूर्व में मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश की राजधानी थी। चित्तौड़गढ़ बेरच और गंभीरी नदी के तट पर स्थित है। प्रारंभ में यहां गुहिलोत (गहलोत) का शासन था और उसके बाद 7 वीं शताब्दी से यहां सिसोदिया (क्षत्रिय राजपूतों के सूर्यवंशी कुल) वंश का शासन था। सम्राट अकबर ने 1567 में इसे जीता लेकिन अंत में 1568 में इसे मुक्त कर दिया। यह एक पहाड़ी पर स्थित किला है जिसकी ऊंचाई 180 मीटर है और यह 280 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। माना जाता है कि सिसोदिया वंश के महान संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी के मध्य में अंतिम सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौड़गढ़ को दहेज के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ क्षेत्र पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था।
2. कुम्भलगढ़ का किला:
कुम्भलगढ़ राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। इसका निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार मंडन की देखरेख में 1443 से 1458 ईस्वी के बीच राणा कुंभा की मदद से किया गया था। इस किले का निर्माण एक पुराने महल के स्थान पर किया गया था जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के जैन राजकुमार “सम्प्रति” से संबंधित था। अपने समय के प्रसिद्ध भवन निर्माता राणा फतेह सिंह (1885-1930 ईस्वी) ने इस किले के अंदर “बादल महल” का निर्माण करवाया था। इस किले के अंदर कुछ प्रमुख इमारतों में कुंभा पैलेस, ब्रह्मनिकल, बादल महल,जैन मंदिर, जलाशय,छतरी आदि शामिल हैं। महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुआ था।
3. सवाई माधोपुर का किला:
जयपुर राज्य के शासक सवाई माधो सिंह ने क्षेत्र में मराठाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए मुगल शासकों से रणथंभौर किले को सौंपने का अनुरोध किया था। सवाई माधो सिंह ने शेरपुर के पास एक गांव का निर्माण किया और 1763 में इसका नाम बदलकर सवाई माधोपुर रख दिया गया। इस शहर को सामान्यतः "सवाई माधोपुर शहर" के नाम से जाना जाता है जो रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के छोर पर दो समानांतर पहाड़ियों के बीच एक संकरी घाटी में स्थित है।
4- झालावाड़ का किला:
झालावाड़ का किला जिसे गढ़ महल के रूप में भी जाना जाता है, शहर के मध्य में स्थित है। इस किले का निर्माण 1845 ईस्वी में महाराजा राणा मदन सिंह के द्वारा किया गया था। इस किले के जनाना खास या महिलाओं के महल के दोनों दीवारों और शीशों पर चित्र बने हुए है। ये चित्र हडौती कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। वर्तमान में, झालावाड़ किले का प्रयोग कलेक्ट्रेट और अन्य कार्यालयों के रूप में किया जाता है। झालावाड़ मालवा के पठार के छोर पर बसा जिला है। इस जिले में झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है।
5. आमेर का किला:
आमेर का किला राजस्थान के जयपुर जिले के आमेर में स्थित है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। आमेर के किले का निर्माण 1592 में राजा मानसिंह प्रथम द्वारा किया गया था। यह मुगलों और हिन्दूओं के वास्तुशिल्प का मिलाजुला और अद्वितीय नमूना है। जयपुर से पहले कछवाहा राजपूत राजवंश की राजधानी आमेर ही थी। पहाड़ी पर बना यह महल टेढ़े मेढ़े रास्तों और दीवारों से भरा पड़ा है। महल के पीछे से “जयगढ महल” दिखाई देता है। यह किला अपनी कलात्मक शैली के लिए बहुत प्रसिद्ध है। मई 2013 में इसे विश्व धरोहर में शामिल किया गया।
जयपुर का आमेर किला
भ्रमण का समय: 8:00 AM – 6:00 PM
संपर्क नंबर : 0141 253 0293
प्रवेश शुल्क (भारतीय रुपयों में):
• भारतीयों के लिए : 25.00 रुपये
• छात्रों के लिए : 10 रुपये
• विदेशी नागरिकों के लिए : 200.00 रुपये
• विदेशी छात्रों के लिए : 100 रुपये
हाथी की सवारी का शुल्क. 900/- रुपये
6. जैसलमेर का किला:
जैसलमेर के किले को दुनिया की सबसे बड़ी किलेबंदी में से एक माना जाता है। यह राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित है। यह एक विश्व धरोहर स्थल है। इसे 'सोनार किला' या 'स्वर्ण किले' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पीले बलुआ पत्थर का बना हुआ है और सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। इसका निर्माण राजपूत शासक रावल जैसल द्वारा 1156 में किया गया था। जैसलमेर रेगिस्तान में स्थित पहाड़ी किले का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
हेमेन्द्र रावल
डूँगरपुर
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